यूरोपीय संसद चुनाव: मध्य-दक्षिणपंथ बरकरार, पर फ्रांस और जर्मनी में दक्षिणपंथी लहर ने चौंकाया
यूरोपीय संसद चुनावों के नतीजों ने यूरोप के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। जहाँ मध्य-दक्षिणपंथी यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (EPP) सबसे बड़े समूह के रूप में उभरी है, वहीं फ्रांस और जर्मनी जैसे प्रमुख देशों में धुर-दक्षिणपंथी दलों को मिली बड़ी बढ़त ने सबको चौंका दिया है।

यूरोपियन यूनियन के 27 सदस्य देशों में हुए यूरोपीय संसद चुनावों के नतीजे आ गए हैं और तस्वीर मिली-जुली है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन की मध्य-दक्षिणपंथी यूरोपियन पीपुल्स पार्टी (EPP) ने लगभग 184 सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की है और वे यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए प्रबल दावेदार हैं। हालांकि, इन चुनावों की सबसे बड़ी कहानी फ्रांस और जर्मनी में धुर-दक्षिणपंथी दलों का शानदार प्रदर्शन रहा। फ्रांस में, मरीन ले पेन की नेशनल रैली पार्टी ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी को बुरी तरह हराया, जिसके चलते मैक्रों को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा करनी पड़ी। यह उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक जुआ है। जर्मनी में भी, चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की सोशल डेमोक्रेट्स (SPD) तीसरे स्थान पर खिसक गई, जबकि धुर-दक्षिणपंथी AfD (Alternative for Germany) दूसरे स्थान पर आ गई। इन नतीजों से यूरोपीय संघ की नीतियों, खासकर आव्रजन, जलवायु परिवर्तन और यूक्रेन को समर्थन जैसे मुद्दों पर असर पड़ने की संभावना है। जबकि मध्यमार्गी दल अभी भी संसद में बहुमत रखते हैं, दक्षिणपंथी दलों का बढ़ता प्रभाव नीति-निर्माण को अधिक जटिल बना सकता है।
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